आपने गज-चर्म को धारण कर लिया।
आप श्मषान रूपी रंगमंच पर
आनन्द नृत्य करने में सक्षम हैं।
राक्षस रावण को ऊँचे पर्वत के नीचे दबाकर रुलाया,
फिर उसके सामगान पर द्रवित होकर अनुग्रह किया।
कल-कल निनादिनी केडिल नदी के तट पर स्थित
अदिकै के वीरस्थान (वीरट्टानम्) पर प्रतिष्ठित
मेरे आराध्यदेव!
मैं द्रवीभूत होकर लोटता हूँ,
नीचे गिरता हूँ, फिर उठता हूँ।
क्या आप इस पर भी मुझे
वेदना से मुक्ति प्रदान नहीं करेंगे? ।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000