अदिकै के केडिलम् नदी के तट पर स्थित
वीरस्थान देवालय में प्रतिष्ठित मेरे आराध्यदेव!
मैं आपको जल, पुष्प और धूप देना अभी तक नहीं भूला।
मैं मधुर राग-रागिनियों से निबद्ध
तमिल़ गीतों का गायन नहीं भूला।
मैं भली-बुरी स्थिति में आपको नहीं भूला।
मैं अपनी जिह्वा से आपका नाम-स्मरण करना नहीं भूला।
आप तो कपाल पर भिक्षा लेकर फिरते हैं।
इस शरीर कोे वेदनाप्रद शूल-रोग से
विमुक्त करने की कृपा कीजिए।
मैं आपका दास इस रोग से छटपटा रहा हूँ।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000