हमारे आराध्यदेव षिव, गज-चर्मधारी हैं।
आपके पैरों में नूपुर निनादित हैं।
हाथ में अग्नि ज्वाला धारणकर,
कंधों को हिलाकर भव्य नृत्य करनेवाले हैं।
अपने जटा-जूट में गंगा व चन्द्र को आश्रय देनेवाले,
अमरों के स्तुत्य, सबको प्रसन्न करने के लिए भव्य नृत्य करने वाले,
आप पुलि़यूर में प्रतिष्ठित हैं।
प्रतिदिन प्रभु को स्मरण न करने पर
यह मानव जीवन व्यर्थ है।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000