मेरे आराध्यदेव षिव तपस्वियों से स्तुत्य हैं।
वे महादेव हैं, मेरे रक्षक हैं।
वे जरा रहित भेष स्वरूप हैं।
देवों पर कृपा प्रदान करने वाले हैं।
वे समुद्र, पर्वत, आकाष, पृथ्वी एवं नक्षत्रों में व्याप्त हैं।
प्रज्वलित ज्वालाओं में आप सूर्य चन्द्र दोनों रूप में स्थित है।
आप स्वयं उत्कृष्ट महादेव हैं।
आप पुलि़यूर में प्रतिष्ठित हैं।
आपका प्रतिदिन स्मरण न करने पर
यह मानव जीवन व्यर्थ है।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000