कविता - 2; ताल - पंजमं
कठिनायियों को निकालके मुझे शासनकरे मेरे अन्दरयामी,
सारे अंध्कार मरम्मत करके उठे हुयी
ज्वालामयी दीप से फैलाते रोशनी से
शुद्ध रोशनी की अन्दरवाले रोशनी,
नंदी वाहन, कांचन मंच में नाचनेवाले,
ब्रह्मा और विश्णु आपको जानके बिना
ज्योति फैलाके सारे जहां खडे स्वामी,
सेवक मुझे आपको प्रसतुत कराने दया करें - 1.2
हिन्दी अनुवाद: ओरु अरिसोनन [देव महादेवन] 2017