षिव गज चर्म को ओढ़कर सुषोभित हैं।
सभी की इच्छाओं को पूर्ण करने वाले हैं।
वे कच्ची में प्रतिष्ठित एकाम्बरेष्वर हैं।
भेद-भाव के बिना सभी पर कृपा करने वाले हैं।
देवों के लिए अगोचर हैं,
महिमा मण्डित हैं।
इस पृथ्वी के जन एवं देवों के स्तुत्य हैं।
इनको प्रसन्न करने के लिए भव्य नृत्य करने वाले हैं।
वे परमज्योति परब्रह्म स्वरूप हैं।
असंख्य नामधारी हैं। वे पुलि़यूर में प्रतिष्ठित हैं।
आपका स्मरण न करने पर यह मानव जीवन व्यर्थ है।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000