<
कविता - 5; ताल - पंजमं
सभी रूप धरनेवाले, ऊपर रहनेवाले देवों के राजा,
गुण रूप शूण्य निर्गुण,
काल, गंगाधर, हमारे मृत्यु संहारी, मन्मथ नाशक,
विष को अमृत समझके खाकर
अपने सवर्ण मंदिर में नाचनेवाले,
दुनिया भी आप, बुद्धिहीन सेवार्थी मुझे
महातपस्वी आपके पास आने की दया करें - 1.5
हिन्दी अनुवाद: ओरु अरिसोनन [देव महादेवन] 2017