తిరుపుణ్కూరు
సారవంతమైన తోటలున్న తిరుపుణ్కూరులో వసించే దేవా!
మార్కండేయుడు కాపాడమని శరణు జొచ్చి నప్పుడు, నీవ తనిని కాపాడడం కోసం యముని కే యముడైనావు.
దీన్ని బట్టి నీవు భక్తవత్సలుడవని నిర్ధారణ మై పోయింది.
యవ భటులు వచ్చి నన్ను యాతన బెట్టే టప్పుడు ‘అతడు నా సేవకుడు’ అని చెప్పి (నేనూ నీ భక్తుడినే కనుక) నన్ను కూడా నీవు కాపాడు తావనే నమ్మకం నాకు రూఢి అయింది.
నీ పాదాలను నేను ఆశ్రయిచాను. దయచేసి సమ్మతించు.
అనువాదము: పేరా. మునైవర్ వైవియెసెచెన్ మూర్త్తి, పేరా. మునైవర్ వి మునిరత్తినం నాయుడు (2013)
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ඔබ සරණ ගිය බමුණු මාර්කන්ඩයන් දරුගෙ
දිවි ගලවා ගනු වස් මෙත් වඩා‚
දිවි ඩැහැගෙන යන්නට ආ රුදුරු මරු
නසා දැමූ පුවත අසා ඔබ සොයා ආවෙමි
මරුගෙ සගයන් මා වෙත එනවිට
මගේ බැතියෙකු යැයි පවසා මා රැක ගනු මැන
තිර සිතිවිලි මනසේ දරා සිරි පා සරණ ගියෙමි
බැතියා රැක ගනු මැන සසිරිබර පුන්කූරයේ සමිඳුනේ.
පරිවර්තනය: ආර්. වඩිවේල් (විශ්රාමලත් උපගුරු), ඩී. ජී. ලින්ටන්, (විශ්රාමලත් විදුහල්පති), 2020
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55. तिरुपुन्कूर
(सुन्दरर् ने तिरुवारूर के वल्मीकनाथ प्रभु को अपनी पत्नी परवैयार के पास दूत के रूप में भेजा। यह बात मालूम होते ही कि प्रभु को नौकर के रूप में दूत बनाकर भेजा है, वहाँ के भक्त एयरकोन कलिकाम नायनार (शिवभक्त) आग बबूला हो गए। सुन्दरर् ने अपनी गलती स्वीकार की और प्रतिदिन प्रभु से आकर प्रार्थना करने लगे। प्रभु दोनों भक्तों में समझौता कराना चाहते थे। उन्होंने कलिकाम नायनार के पेट में दर्द पैदा कर दिया और कहला भेजा कि सुन्दरर् ही पेट दर्द को दूर कर सकते हैं। कलिकाम हठी स्वभाव वाले थे; उन्होंने यही कहा कि अगर सुन्दरर् ही इसे ठीक कर सकते हैं तो ठीक है, यह दर्द ऐसे ही रहने दिया जाय। इसमें असफल होने पर प्रभु ने सुन्दरर् को ही कलिकाम के यहाँ भेजा। सुन्दरर् ने प्रभु का आदेश पाकर कलिकाम नायनार के पास कहला भेजा कि वह उनके यहाँ आ रहे हैं।
अत्यधिाक दु:खी होकर कलिकाम नायनार छटपटा रहे थे। वे सुन्दरर् से साक्षात्कार नहीं करना चाहते थे। सुन्दरर् के आने के पूर्व ही यह कहते हुए अपने कृपाण से पेट को चीर लिया कि उसके आने के पूर्व ही दर्द से पीड़ित इस पेट को ही चीर देता हूँ।
सुन्दरर् कलिकाम के यहाँ पहुँचे। उनकी श्रीमती ने वास्तविकता को छिपाकर सुन्दरर् का स्वागत किया। अपने अनन्य मित्रा को मरा पड़ा देखकर सुन्दरर् द्रवीभूत हो गये और \\\'\\\'मैं भी इनके समान ही मरूँगा\\\'\\\' कहते हुए आत्महत्या करने के लिए तैयार हो गए। शिव ने उपस्थित होकर अपने भक्त को बचाया और कलिकाम नायनार को भी जिलाया। दोनों प्रभु की अनुकम्पा पर गद्गद हो गए। दोनों मिलकर आनन्दातिरेक में भावभिवोर होकर प्रभु के गुण्ागान करने लगे। उस समय का यह दशक है।)
समृध्द वाटिकाओं से आवृत
तिरुप्पुन्कूर में प्रतिष्ठित प्रभु!
मुनि पुंगव की जान बचाने के लिए आपने यम पर आक्रमण कर
उसका प्राण हरण किया।
आपकी क्षमता से यह दास भलीभाँति परिचित है।
अब मैं इसलिए आपके आश्रय में आ पहुँचा हूँ कि
यमदूत आकर मेरा प्राण हरण करके सतायेंगे
तो कहिएगा कि यह मेरा प्रिय भक्त है,
इसे मत सताइये।
प्रभु मुझे अपनाओ।
रूपान्तरकार डॉ.एन.सुन्दरम, 2007
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God in tiruppuṉkūr which has fertile gardens!
when the antaṇāḷaṉ brahmin, mārkantēyaṉ sought refuge in you.
in order to save him from death
I who am a holy slave to you who snatched away the precious life of the kālaṉ god of death who come to take away his life.
knowing about your strength.
my father!
coming to you with the idea that if the servants of the god of death afflict me, you will prevent it by saying He is my devotee!
I approached your holy feet;
please accept me:
Translation: V.M.Subramanya Aiyar–Courtesy: French Institute of Pondichery / EFEO (2006)